गोविन्दाष्टकं
GOVINDAASHTAKAM
गोविन्दाष्टकं
GOVINDAASHTAKAM
गोष्ठप्राङ्गणरिङ्खणलोलमनायासं
परमायासम् |
मायाकल्पितनानाकारमनाकारं
भुवनाकारम् |
क्ष्मामानाथमनाथं
प्रणमत गोविन्दं परमानन्दम् || 1 ||
मृत्स्नामत्सीहेति
यशोदाताडनशैशव सन्त्रासम् |
व्यादितवक्त्रालोकितलोकालोकचतुर्दशलोकालिम्
|
लोकत्रयपुरमूलस्तम्भं
लोकालोकमनालोकम् |
लोकेशं परमेशं
प्रणमत गोविन्दं परमानन्दम् || 2 ||
त्रैविष्टपरिपुवीरघ्नं
क्षितिभारघ्नं भवरोगघ्नम् |
कैवल्यं
नवनीताहारमनाहारं भुवनाहारम् |
वैमल्यस्फुटचेतोवृत्तिविशेषाभासमनाभासम्
|
शैवं केवलशान्तं
प्रणमत गोविन्दं परमानन्दम् || 3 ||
गोपालं
प्रभुलीलाविग्रहगोपालं कुलगोपालम् |
गोपीखेलनगोवर्धनधृतिलीलालालितगोपालम्
|
गोभिर्निगदित
गोविन्दस्फुटनामानं बहुनामानम् |
गोपीगोचरदूरं
प्रणमत गोविन्दं परमानन्दम् || 4 ||
गोपीमण्डलगोष्ठीभेदं
भेदावस्थमभेदाभम् |
शश्वद्गोखुरनिर्धूतोद्गत
धूलीधूसरसौभाग्यम् |
श्रद्धाभक्तिगृहीतानन्दमचिन्त्यं
चिन्तितसद्भावम् |
चिन्तामणिमहिमानं
प्रणमत गोविन्दं परमानन्दम् || 5 ||
स्नानव्याकुलयोषिद्वस्त्रमुपादायागमुपारूढम्
|
व्यादित्सन्तीरथ
दिग्वस्त्रा दातुमुपाकर्षन्तं ताः
निर्धूतद्वयशोकविमोहं
बुद्धं बुद्धेरन्तस्थम् |
सत्तामात्रशरीरं
प्रणमत गोविन्दं परमानन्दम् || 6 ||
कान्तं
कारणकारणमादिमनादिं कालधनाभासम् |
कालिन्दीगतकालियशिरसि
सुनृत्यन्तम् मुहुरत्यन्तं |
कालं कालकलातीतं
कलिताशेषं कलिदोषघ्नम् |
कालत्रयगतिहेतुं
प्रणमत गोविन्दं परमानन्दम् || 7 ||
बृन्दावनभुवि
बृन्दारकगणबृन्दाराधितवन्देहं |
कुन्दाभामलमन्दस्मेरसुधानन्दं
सुहृदानन्दं |
वन्द्याशेष
महामुनि मानस वन्द्यानन्दपदद्वन्द्वम् |
वन्द्याशेषगुणाब्धिं
प्रणमत गोविन्दं परमानन्दम् || 8 ||
गोविन्दाष्टकमेतदधीते
गोविन्दार्पितचेता यः |
गोविन्दाच्युत
माधव विष्णो गोकुलनायक कृष्णेति |
गोविन्दाङ्घ्रि
सरोजध्यानसुधाजलधौतसमस्ताघः |
गोविन्दं
परमानन्दामृतमन्तस्थं स तमभ्येति ||
इति श्री
शङ्कराचार्य विरचित श्रीगोविन्दाष्टकं समाप्तं
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